सुनो प्रिय !!...तुम्हारा प्यार किसी रोज मुझे पत्रकार बना देगा |


नाराज प्रेमिका - (पहला संवाद )

-''तुम दिन पर दिन दिवालिया होते देश जैसे होते जा रहे हो ।....भला ,तुम में कौन निवेश करना चाहेगा ।''
-''तुमने धोखा देना वर्ल्ड बैंक से सीखा है क्या?... लूट भी लेती हो और पता भी नहीं चलता.....।''
-''राजनीति छोड़ो!!....हमारे प्रेम की पूंजी थी पवित्रता ...जो तुम में नहीं रही ।हमारा प्यार सांस्कृतिक किस्म के खतरों से गुजर रहा है ।''
-''संस्कृति और पवित्रता!!.... तुम्हारी बातो से बीजेपी की बू आ रही है ...। तय कर लो ....तुम्हे प्यार करना है या राजनीति!...''
-''तुम किसी पत्रकार की तरह तय करते रहो.... ...देखना एक दिन हमारा प्यार ..राजनीति और अर्थव्यवस्था की ही गलियों में दम तोड़ देगा ।''

बेचैन आशिक - (दूसरा संवाद )-

-......मैने तो सुना दी अपनी!!..... अब आप अपनी प्रेम कहानी सुनाओ ना!!
-मेरी!!..... मेरी प्रेम कहानी??.....
-हा!.... तुम्हारी ही!..... हर किसी की जिन्दगी मे एक प्रेम कहानी होती है।
-सुनो !!!.......मेरी जिन्दगी फुटपाथ पर बिकने वाली रंगीन कवर की सस्ती पत्रिकाओं जैसी है। वहां कहानी नही कहानियां बसती है.... मनोरम कहानियां.... हा!! हा!!
-हंसो मत !!....ये मुस्कान तुम्हारे जैसी झूठी और बेहुदा है!..... मै जा रही हूॅ....
-जाओ !......खैर....... एक अन्तहीन वफादार सन्नाटा........

राजनीतिक  प्रेमी (तीसरा संवाद )-


-"तुम मुझसे प्यार करते भी हो या नही?...आज मैं सीरियस हूँ!!! |"
-"करता भी हूँ और नही भी!! "
-"तुम्हारा प्यार ,प्यार न हो गया आरएसएस का प्रचार हो गया!!!! ...हकीकत कम बताता है भ्रम ज्यादा फैलाता है |"
-"तुम्हारी नजरें भी 'रेडिकल इस्लाम' से कम नही है |खुद में देखना ही नही चाहती !!...मुझसे पूछती रहती हो !!"
-"मैं खुद में देखती हूँ तो तुम दिखते हो!! ......'बहाबियत और हिंदुत्व '..."
-"सब छोङो ...तुम्हारे जूडे में खुसी दर्जन भर पिनों की कसम!!!!...........तुम्हारा प्यार किसी रोज मुझे पत्रकार बना देगा |"
........................धत्त .................




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