हमारी न्यायिक संरचनाएं अपने फैसले गवाहों और
सबूतों के आधार पर सुनाती है।.'गवाह' न्यायिक फैसलों
के आधार होते है।.आधार का संरक्षण क्षरण आवश्यक है.।आसराम के खिलाफ चल रहे
दुष्कर्म मामले में प्रमुख गवाह की बीतें रविवार हत्या कर दी गयी ।.यह इस तरह की पहली घटना नही है ।इसकें पहले भी
गवाहों को धमका कर खरीदकर बयांन बदलने का सिलसिला लम्बे अरसे से चलता आ रहा है।
विधि आयोग ने अगस्त २००६ में अपनी १९८वीं
रिपोर्ट में गवाहों की सुरक्षा क लिए एक व्यापक कार्यक्रम चलाने पर जोर दिया था । आयोग
ने कहा था की जांच से लेकर मामले की सुनवाई तक हर स्तर पर गवाहों को सुरक्षा
प्रदान की जानी चाहिए.परन्तु आज स्थिति एकदम भिन्न है।.देश में गवाहों की सुरक्षा
प्रदान करने के लिए गवाह संरक्षण की बातें
तो समय-समय पर की जाती रही है किन्तु आजतक कोई मजबूत कानून नही बनाया जा सका है।. यदि गवाह
संरक्षण कार्यक्रम एक मजबूत कानून में तब्दील हो जायेगा तो उसके अनुसार किसी भी
मामले में सुनवाई के पहले, सुनवाई के बाद या सुनवाई के दौरान
गवाहों को सरकारी संरक्षण प्रदान किया जायेगा ताकि वह बिना भय दवाब या प्रलोभन से
अपना बयान अदालत में दे सके.।
आज वर्तमान समय को देखते हुए एक मजबूत गवाह
संरक्षण क़ानून की जरूरत है।.क्यूंकि कई मामलों में देखा गया है कि आरोपी गवाह को
विभिन्न तरीकों से डरा धमका एवं प्रलोभनों से अदालत में अपने बयान से मुकर जाने का
दवाब डालते है.। इसके चलते गवाह पुलिस को दिए गए बयान के बजाय अदालत में कछ
अलग ही बयान देता है।.इससे न्याय की
अवधारणा प्रभावित हो सकती है.।
गवाहों को संरक्षण में रखने के लिए प्रावधान
अमेरिका, कनाडा
सहित कई मुल्कों में लागू है.। अमेरिका में यदि कोई मुलजिम सरकारी गवाह बनने के
लिए तैयार हो जाते है तो उसे एक नयी पहचान दी जाती है।.इसके अलावा गवाहों को सरकार
२४ घंटे सुरक्षा मुहैया कराती है ताकि गवाह को कोई नुकसान न हो सके।.इसी तरह कनाडा
में विटनेस प्रोटेक्शन एक्ट १९९६ लागू है। इस एक्ट के तहत अपराधिक मामलो में गवाह
को जांच से लेकर सुनवाई तक हर स्तर पर सुरक्षा मिलती है.।ब्रिटेन में ऐसे अपराध
जहां बन्दूक का इस्तेमाल किया गया हो या फिर हत्या के मामलों के लिए ‘सीरियस
ऑर्गनाइज़्ड एक्ट एंड पुलिस एक्ट एक्ट २००५’ के अंतर्गत गवाहों को सुरक्षा दी जाती
है.।वहॉ नये क़ानून के मुताबिक ऐसे मामलों के गवाहों को ‘प्रोटेक्टेड पर्सन्स’ का दर्जा दिया जाता है और स्थानीय पुलिस की मदद से
उन्हें सुरक्षा दी जाती है.।कुछ समय से भारत में जिस तरह से लगातार गवाहों की
हत्या व् उन्हें प्रलोभन देने के मामले सामने आ रहे है ,भारत को भी एक मजबूत गवाह
संरक्षण कानून बनाना चाहिए.।
‘राहुल
सांस्कृत्यायन’ के
अनुसार “आज
न्याय सस्ता और सुलभ नही है.।गरीब आदमी के लिए वह संसार की महंगी चीज़ों में से एक
है.। aमीर
आदमी हारते- हारते गरीब का घर उजाड़ जाता है.। “गवाहों के संरक्षण में न होने पर अक्सर
धनिक पक्ष गवाहों को प्रलोभन देकर अदालत में बयान बदलने के लिए मना लेते हैं। .बयान
बदलने से पूरा मामला प्रभावित होता है और अदालत भी इस मामले में कुछ नंही कर सकती। .बलात्कार के कई मामलों में देखा
गया है कि पीड़िता मामले की सुनवाई के दौरान अपने ही बयान से मुकर जाती है और आरोपी
आराम से कानून की चंगुल से मुकत हो जाता है.।सुनवाई के दौरान गवाह का संरक्षण
इसलिए और भी आवश्यक है की गवाह के न होने पर केस की सम्पूर्ण प्रक्रिया प्रभावित
हो जाती है.।
दिल्ली हाईकोर्ट का मानना है कि ‘गवाहों को
सुरक्षा प्रदान करना पुलिस आयुक्त कि जिम्मेदारी है।‘.सुप्रीम कोर्ट ने भी राष्ट्रीय
मानवाधिकार आयोग बनाम गुजरात सरकार मामले में गवाह संरक्षण के विषय में टिप्पणी
करते हुए कहा था कि “गवाहों को
सुरक्षा देने के लिए अब तक न केंद्र और न
ही राज्य सरकारों ने कोई कानून बनाया है।.आपराधिक मामलों कि सुनवाई प्रभावशाली
तरीके से हो सके इसके लिए गवाहों को सुरक्षा देना बेहद जरूरी है.”।सुप्रीम कोर्ट
कि यह टिप्पणी अदालत कि चिंता दर्शाती है.।अब वह वक़्त आ गया है जब दोनों सदनों को मिलकर एक मजबूत ‘गवाह
संरक्षण कानून;
बनाना चाहिए ताकि आपराधिक मामलों में कारवाई निष्पक्ष हो तथा पीड़ितों को न्याय
मिले और आरोपी को उचित सजा.।
आशुतोष तिवारी
IMS गाजियाबाद (9990984253)
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Govindpuram Ghaziabad-201013
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