‘अबकी बार अध्यादेश सरकार’


शीतकालीन सत्र समाप्ति के साथ-साथ सरकार ने अध्यादेशों की झड़ी लगाकर नए विवाद को जन्म दे दिया  है|गौरतलब है कि बीमा, भूमि अधिग्रहण, ई-रिक्शा,दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों का नियमन, कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़े विधेयकों के लिए सरकार ने अध्यादेश का सहारा लिया है|सरकार का तर्क है कि विपक्ष के हठीले रवैये के कारण वह आर्थिक सुधारो के लिए रुक नही सकती,इसीलिए उसने अध्यादेश लाने का फैसला लिया|सरकार भूमि अधिग्रहण जैसे गंभीर विमर्श के विषय पर भी राष्ट्रपति से अध्यादेश की मंजूरी ले चुकी है|केंद्र सरकार के इस रवैये की आलोचना विपक्ष से लेकर कानूनविद तक कर रहे है|
संसद लोकतंत्र की संचालक इकाई है|संसद चर्चा का स्थल है|संसद के सदन सहमति से क़ानून बनाते है|अध्यादेश आपातकालीन उपबंध है|संविधान के अनुसार कोई भी अध्यादेश सदन के सत्र में न होने पर पास किया जा सकता है पर वह साढ़े सात महीने से ज्यादा अस्तित्व में नही रह सकता|कानूनी स्थिति यह भी है की सदन के  सत्र में आने के ६ हफ्ते के भीतर उसे क़ानून बनाना होगा वरना उसके बाद वह समाप्त हो जायेगा||डी.सी वाधवा बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के अनुसार संवैधानिक संस्था परोक्ष तौर पर वह कार्य नही कर सकती जो वह प्रत्यक्ष तौर पर कर सकती है|क़ानून बनाने का काम संसद और विधान सभाओं का है|संसद की उपेक्षा या उनके सत्र के समापन के साथ अध्यादेश की झड़ी लगाना संविधान के साथ धोखाधड़ी है|
सरकार के इस रवैये से एक महत्वपूर्ण सवाल उठा है सरकार आर्थिक सुधारों(जैसा की सरकार कह रही है)को लेकर इतनी आतुरता क्यों दिखा रही है|भूमि अधिग्रहण से जुड़ा संशोधन विधेयक गंभीर विमर्श का मुद्दा है|राष्ट्रपति ने भी इस अध्यादेश को मंजूरी देते हुए सवाल किया कि सरकार को इतनी जलबाजी क्यों है??विपक्ष से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे है|किसान तथा आदिवासियों के दीर्घकालिक आंदोलन के बाद 'भूमि सुधार क़ानून' 2013 पास हुआ था|इस क़ानून का समर्थन विपक्ष में रहते हुई भाजपा ने भी किया था|इस संशोधन से किसान आदिवासियों के जमीन को सरकारी-गैरसरकारी तरह से अधिग्रहण को जटिल बनाया गया|पुनर्वास तथा मुआवजे के भी जनपक्षीय नियम बनाये गए ताकि वह ठगा हुआ न महसूस करे|मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में खाद्यान कानों 1885 , परमाणु ऊर्जा क़ानून 1962 जैसे 13 केंद्रीय कानून को भूमि अधिग्रहण कानून से बाहर करने जा रही है|सरकार यह कर सकती है,और यह उसका अधिकार भी है|किन्तु अध्यादेश के बजाय सदन में चर्चा कर विधेयक पारित कराना ज्यादा जनतांत्रिक तरीका है|बीमा क्षेत्र में भी विदेशी निवेश को 26 % से बढ़ाकर 49 % करने के लिए सरकार अध्यादेश लायी है|बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश से सरकार को कोई फोरी आर्थिक राहत नही मिलती दिखती|

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि,अध्यादेश एक अल्पकालिक उपबंध है इसकी उम्र अधिकतम साढ़े सात महीने तक ही होती है|इस बीच यदि विधेयक ने क़ानून की शक्ल नही ली तो तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है|यह बात हम ही नही निवेशक भी समझते है|हर अद्यादेश कानून नही बन सकता|1970 से 1990 के बीच संसद ने 106 अध्यादेश हर साल जारी किये,जिसमे 77.7 फीसदी क़ानून बन पाएं|भला कोई निवेशक ऐसे अल्पकालिक अस्थायी व्यवस्था में अपना निवेश क्यों करना चाहेगा|
अध्यादेशों कि श्रंखला अलोकतांत्रिक पद्यति है|सरकार ने राज्यसभा में कोई बिल पेश न करने का फैसला लेकर चौक दिया है|गौरतलब है कि राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नही है|राज्यसभा किसी विधेयक को 6 महीने ही रोक सकती है|इसके बाद संयुक्त सदन में विधेयक पास हो जाता है|मोदी सरकार 2017 तक(जब उनके अनुसार राज्यसभा में भाजपा का बहुमत होगा)राज्यसभा में कोई विधेयक नही पेश करेगी|यह सरकार कि मनमानी ही है कि सरकार सबकुछ अपनी शर्तों पर करना चाहती है|यदि हमारे मुखर प्रधानमंत्री धर्मांतरण के मुद्दे पर अपना दो मिनट के लिए भी मौन तोड़ते तो अवश्य ही कुछ जरूरी विधेयकों पर चर्चा हो सकती थी,जिसके लिए सरकार को अध्यादेश लाना जरूरी हो गया|
अध्यादेश स्थायी हल नही है,इसके बावजूद हर दल की सरकारें इसका इस्तेमाल करती रही है|1970  से 1990 के बीच हर साल 106 अध्यादेश जारी हुए।,1993 में 34 अध्यादेश जारी हुए|1996-97 में औसतन 20-30 अध्यादेश जारी हुए|डी.सी. वाधवा को कानून के शोध के दौरान पता चला कि बिहार सरकार ने विधासभा कि उपेक्षा कर एक ही दिन में 50 तक अध्यादेश जारी करने का रिकॉर्ड बनाया|कांग्रेस भी ऐसे ही रास्तों पर चलती आई है,तभी वह भाजपा को घेरने में कमजोर नज़र आ रही है
अध्यादेश का रास्ता संविधान कि मूल भावना(अनुच्छेद 123 व् 213)के खिलाफ है|सरकार किसी भी दल कि हो पर विधेयक को सदन में चर्चा के बाद ही पारित कराना लोकतान्त्रिक तरीका है|सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राष्ट्र में अध्यादेश के अनुसार शासन नही होना चाहिए|
आशुतोष तिवारी
आईएमएस ग़ाज़ियाबाद
J ब्लाक हाउस नं.-59 गोविन्दपुरम गाजियाबाद,पिन- 201013 मो.- 9990984253








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