रेलमंत्री सुरेश
प्रभु ने अपनी मंत्रित्व काल का पहला रेल बजट गुरूवार को संसद में पेश कर दिया है |
शायद रेलवे बजट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ
है जब किसी नई ट्रेन की घोषणा नही की गयी है | रेलवे बजट देखकर लगता है की सरकार की मंशा ही पहले से चली आ
रही योजनाओ तथा बुनियादी सुविधाओ को बेहतर तथा आधुनिक बनाने की है | इसीलिये इस बार
नयी ट्रेनों की घोषणा न कर के रेलवे के
संख्यात्मक परिवर्तन की बजाय गुणात्मक परिवर्तन पर ध्यान दिया गया है | भारतीय रेलवे इतनी खस्ताहाल है की कोई भी
जानकार गुणात्मक परिवर्तन की अनिवार्यता को नजरंदाज नही कर सकता|
हमारे यहाँ रेलवे
जान परिवहन का सबसे सस्ता तथा बड़ा साधन है फिर भी आधार भूत संरचनाओं अवं सुविधाओ
के मामले में पडोसी देश चीन से काफी पीछे है | १९४७ में जहां भारत में रेलवे ट्रैक ५४००० किलोमीटर था तथा
विस्तारित होकर आज ६५४३६ किलोमीटर है | जबकि चीन में १९४७ में रेलवे ट्रैक का विस्तार २७००० किलोमीटर था वही अब
१०३१४४ किलोमीटर हो गया है | चीन में झ ट्रेन
की अधिकतम गति १६० किलोमीटर\घंटा(शंघाई-
मैग्लेव ट्रेन) है वही भारतीय ट्रेनों की
अधिकतम गति १६० किलोमीटर\घंटा(आगरा सेमी
बुलेट ट्रेन ) है |आधारभूत संरचनाओं
तथा गति के नाम पर भारतीय रेलवे चीन से बहुत पीछे है और हमें चीन से सबक लेने की
जरुरत है |
रेलवे बजटमे इस
बार गुणात्मक परिवर्तन के लक्ष्य से साधारण श्रेणी के सवारी डिब्बो में मोबाइल
चार्ज की व्यवस्था, महिला सुरक्षा के
लिए डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे , २४ डिब्बों को
बढ़ाकर २६ सवारी डिब्बे इत्यादि की व्यवस्था की गयी है| इसके अतिरिक्त रेलवे टिकेट के लिए बटन , सिक्कों वाली वेंडिंग मशीन की व्यवस्था,
सीरक्षा समस्याओ के लिए २४ घंटे की हेल्पलाइन ,
६५० अतिरिक्त स्टेशनों पर नए शौचालय ,२४ घंटे हेल्पलाइन १३८ तथा खाद्य चयन को सरल
बनाने के लिए ई कैटरिंग की व्यवस्था की गयी है | रेलवे बजट में इस बार यात्री भाड़ा चाहें नही बढ़ाया गया है (वह प्रारम्भ में ही १४%
बढ़ाया जा चूका है ) पर माला भाड़ा बढ़ा दिया गया है जिसके चलते बिजली ,सीमेंट इत्यादि के दाम बाद सकते हैं |
भारत में रेलवे
लम्बे अरसे से गव्हते में चल रहा है | रेल बजट में आगामी पांच वर्ष में ८.५ लाख करोड़ रुपया खर्च कर रेलवे के विकास
का खाका खींचा गया है | सवाल यह उठ रहा
है की इतना धन कहाँ से आएगा |प्रधानमंत्री ने
भले ही इस बजट को ऐतिहासिक तथा भविष्योन्मुखी , यात्री केंद्रित बताया हो किन्तु विशेषज्ञों का कहना है की
भारत में ८ओ फ़ीसदी यात्री स्लीपर श्रेणी में यात्रा करते हैं ;उन्हें क्या नया हासिल हुआ है |
रेलवे बजट २०१५
का सार यह है की इसमे न ही आमूल चूक
परिवर्तन में सक्षम है और न ही यह निराशाजनक है |यह एक सालाना
दस्तावेज की रस्मअदायगी करता हुआ एक साधारण बजट है | इस बार के रे;लवय बजट से विपक्ष भले ही निराश हो पर यदि ईमानदारी से िाका पालन किया गया तो
हम गुणात्मक परिवर्तन की दिशा में चंद कदम
आगे जरूर बढ़ सकते है|
आशुतोष तिवारी
IMS गाज़ियाबाद
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